वायदों से पेट नहीं भरता
वायदों से पेट नहीं भरता, नारों से देश नहीं बनता।
जनतंत्र का सुनाने से, जनता का राज नहीं बनता।
परिवर्तन न जाने कब होगा, कब लोग यहाँ के जागेंगे।
अपने धीरज की कीमत कब, इन पेटु नेताओं से मांगेंगे।
न हो निराश, न दिल छोड़ो, ऐसा भी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
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