वायदों से पेट नहीं भरता

वायदों से पेट नहीं भरता, नारों से देश नहीं बनता। जनतंत्र का सुनाने से, जनता का राज नहीं बनता। परिवर्तन न जाने कब होगा, कब लोग यहाँ के जागेंगे। अपने धीरज की कीमत कब, इन पेटु नेताओं से मांगेंगे। न हो निराश, न दिल छोड़ो, ऐसा भी
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भारत के विश्व गुरु के लक्ष्य की ओर बढते कदम – वासुदेव कुटंबकम

वर्ष 2014 के बाद से, भारत की जनता अपनी गुलामी की निशानियों को तेजी से तोड़ते हुए, इतिहास में नए गौरवपूर्ण स्तंभ स्थापित कर रही है और भारत को फिर से उसके स्वर्णिम युग की ओर अग्रसर कर रही है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का
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मूल मंत्र मतदान!

जय जवान जय किसान!यहां जनता ही भगवान्!!जनता ही भाग्य विधाता!जनता ही कुर्सी दाता!!वोट से फूंके प्राण!मूल मंत्र मतदान!!रुप रंग का भेद नहीं!नर नारी सभी समान!!ऊंच नीच का भेद नहीं!सबका मूल्य समान!!नाचें गाऐं खुशी मनाऐं!लोकतंत्र का परव मनाऐं!!सभी
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