Share Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email वर्षा को मत दोष दो, देखो अपना हाल, वृक्ष सारे काट दिए, पहाड़ हुए बेहाल। नंगे तन कब तक सहें, सर्द बर्फ की मार, वृक्ष लगाकर कर सको, करलो कुछ उपचार। उफनायेंगीं नदियां सभी, टूटेंगे सब तट बंध, अब तो मानव बंद करो, दोहन का यह द्वन्द्ध। डॉ अ कीर्तिवर्धन